पैरा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पैरा ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पैर]

१. आया हुआ कदम । पड़े हुए चरण । पौरा । जैस,—बहू का पैरा न जाने कैसा है कि जबसे आई है कोई सुख से नहीं हैं ।

२. एक प्रकार का कड़ा जो पैर में पहना जाता है ।

३. किसी ऊँची जगह चढ़ने के लिये लकड़ियों के बल्ले आदि रखकर बनाया हुआ रासता । उ॰— मन गरूवो कुच गिरिन पै सहजै पहुँचि सकै न । याही तें लै डीठि के पैरे बाँधत नैन ।—स॰ सप्तक, पृ॰ १९६ ।

पैरा ^२ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार की दक्खिनी कपास जिसके पेड़ बहुत दिनों तक रहते है । विशेष—इसके डंठल लाल रंग के होते हैं । रूई इसकी बहुत साफ नहीं होती, उसमें कुछ ललाईपन या भूरापन होता है । यह कपास मध्यभारत से लेकर मदरास तक होती है ।

पैरा ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पिटक, प्रा॰ पिडा] लकड़ी का खाना जिसमें सोनार अपने काँटे बाट रखता है ।

पैरा ^४ संज्ञा पुं॰ [देश॰] दे॰ 'पयाल' ।

पैरा ^५ संज्ञा पुं॰ [अं॰]

१. लेख का उतना अंश जितने में कोई एक बात पूरी हो जाय और जो इसी प्रकार के दूसरे अंश से कुछ जगह छोड़कर अलग किया गया हो ।