पोट
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पोट ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पोट]
१. गठरी । पोटली । बकुचा । मोटरी । उ॰—(क) पहले बुरा कमाय के बाँधी विषय की पोट । कोटि कर्म फिरे पलक में जब आयो हरि ओट ।— कबीर (शब्द॰) । (ख) खुलि खेलौ संसार में बाँधि सकै नहिं कोय । घाट जगाती क्या करै सिर पै पोट न होय ।— (शब्द॰) ।
२. ढेर । अटाला । जैसे, दुःख की पोट, पानी की पोट ।
पोट ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पृष्ठ, हिं॰ पुट्ठ] पुस्तक के पन्नों की वह जगह जहाँ से जुजबदी या सिलाई होती है ।
पोट ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पोत (= वस्त्र)] गुर्दे के ऊपर की चादर । कफन के ऊपर का कपडा़ ।
पोट ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. घर की नीवँ ।
२. मेल । मिलान ।