पोटा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पोटा † वि॰ [सं॰ प्लुत?] तराबोर । उ॰—मेह सुजल पोटाँ महीं, सावण करता सैल ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ २ पृ॰ ७ ।
पोटा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पुट (= थैली) अथवा देशी, पोट्ट, भरा॰, पोट (= पेट)] [स्त्री॰ अल्पा॰ पोटी]
१. पेट की थैली । उदराशय । मुहा॰—पोटा तर होना = पास में धन होने से प्रसन्नता और निश्चिंतता होना । पास में माल रहने से बेफिक्री होना ।
२. कलेजा । साहस । सामर्थ्य । पित्ता । जैसे,—किसका पोटा है जो उनके विरुद्ध कुछ कर सके ।
३. समाई । औकात । बिसात ।
४. आँख की पलक ।
५. उँगली का छोर ।
पोटा ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पोत]
१. चिड़िया का बच्चा जिसे पर न निकले हों । गेदा ।
२. अंकुर । उ॰—नाभी माहिं भया कुछ दीरघ पोटा सा दरसाया ।—दरिया॰ बानी, पृ॰ ५६ । यौ॰—चेंगी पोटे ।
पोटा ^४ संज्ञा पुं॰ [?] नाक का मल या श्लेष्मा । क्रि॰ प्र॰—बहना ।
पोटा ^५ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. वह स्त्री जिसमें पुरुष के से लक्षण हों । नृलक्षणा स्त्री । पुरुषलक्षणों से युक्त । जैसे, दाढी़ या मूँछ के स्थान पर बाल उगना ।
२. दासी ।
३. घड़ियाल ।