प्यार
Jump to navigation
Jump to search
हिन्दी
प्यार वह दैवीय एहसास है जिससे इस संसार के उद्देश्य का एहसास होता है ,प्यार वह एहसास है जिससे एक नजरिया मिलता है,प्यार से विवेक मिलता है,विनम्रता का संचार होता है ,नई ऊर्जा का एहसास होता है यह प्यार किसी से भी हो सकता है माँ, पिता ,भाई ,बहन ,दोस्त ,गुरु, प्रेमिका ,प्रकृति ,ईश्वर आदि किसी से भी ।
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
प्यार ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रीति, प्रिय अथवा प्रियक]
१. मुहब्बत । प्रेम । चाह । स्नेह ।
२. वह स्पर्श, चुंबन, संबोधन आदि जिससे प्रेम सूचित हो । प्यार जनाने की क्रिया । जैसे, बच्चों को प्यार करना । मुहा॰—प्यार का खेलौना = बालक शिशु । बच्चा । उ॰— प्यार कर प्यार के खेलौने को, कौन दिल में पुलक नहीं छाई ।—चोखे॰, पृ॰ १३ ।
प्यार ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पियाल] अचार या पियार नाम का वृक्ष जिसका बीज चिरौंजी है । यौ॰—प्यार मेवा = पियाल मेवा । चिरौंजी ।