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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]प्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक उपसर्ग जो क्रियाओं में संयुक्त होने पर 'आगे', 'पहले', 'सामने', 'दूर' का अर्थ देता है, विशेषणों में संयुक्त होने पर'अधिक', 'बहुल', 'अत्याधिक' का अर्थ देता है, जैसे, प्रकृष्ठ, प्रमत्त आदि और संज्ञा शब्दों में संयुक्त होने पर 'प्रारंभ' (प्रयाण), 'उत्पत्ति' (प्रभव, प्रपौत्र), 'लंबाई' (प्रवालभूसिक), 'शक्ति' (प्रभु), 'आकांक्षा' (प्रार्थना), 'स्वच्छता' (प्रसन्न जल), 'तीव्रता' (प्रकर्ष), 'अभाव' या 'वियोग' (प्रोषित, प्रपर्ण वृक्ष), आदि का अर्थ देता है ।