प्रकीर्णक संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. चँवर । २. अध्याय । प्रकरण । ३. विस्तार । ४. वह जिसमें तरह तरह की चाजें मिली हों । फुटकर । जैसे, प्रकीर्णक कविता; प्रकीर्णक पुस्तकमाला । ५. पाप जिसके प्रायश्चित का ग्रंथों में उल्लेख न हो ।