प्रचार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]प्रचार संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. किसी वस्तु का निरंतर व्यवहार या उपयोग । चलन । रवाज । जैसे,—(क) आजकल अँगरखे का प्रचार कम हो गया है । (ख) इस ग्रंथ का बहुत अधिक प्रचार है ।
२. प्रसिदि्ध ।
३. प्रकाश ।
४. घोड़ों की आँख का एक रोग जिसमें आँखों के आसपास का मांस बढ़कर दृष्टि रोक लेता है । यह मांस काट डाला जाता है ।
५. जाना । चलना । घूमना (को॰) ।
६. प्रगट होना । आना (को॰) ।
७. व्यवहार । आचार (को॰) ।
८. खेलने का मैदान । अभ्यास करने का स्थान (को॰) ।
९. चरागाह (को॰) ।
१०. मार्ग । पथ (को॰) ।
११. सार्वजनिक घोषणा या विज्ञापन । (को॰) ।
१२. गति । संचार । क्रियात्मकता (को॰) ।