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प्रणय

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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प्रणय संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. प्रीतियुक्त प्रार्थना ।

२. प्रेम । उ॰— द्रवित दोनों ही हुए पाकर प्रणय का ताप । —शकु॰, पृ॰ ९ ।

३. विश्वास । भरोसा ।

४. निर्वाण । मोक्ष । श्रद्धा ।

६. प्रसव । स्त्री का संतान उत्पन्न करना ।

७. इच्छा आकांक्षा (को॰) ।

८. अनुग्रह । उदारता । दया । कृपा (को॰) ।

९. नेता । नायक (को॰) ।

१०. निर्देशन । पथप्रदेश (को॰) । यौ॰—प्रणयकलह । प्रणयकुपित । प्रणयकोप । प्रणाय/?/ । प्रमोर्द्र । प्रणयप्रकर्ष = प्रेमाधिक्य । प्रेम का अंतरिक्त । प्रण्यभंग । प्रणयमान = प्रेमजन्य मान या ईर्ष्यादि । प्रणयवचन । प्रणयविघात, प्रणयाविहति = मैत्री टूटना । प्रेम में व्याघात होना ।