प्रतिकार

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

प्रतिकार संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वह कार्य जो किसी कार्य को रोकने, दबाने अथवा उसका बदला चुकाने के लिये किया जाय । प्रतीकार । बदला । जवाब । किसी बात का उचित उपाय । जैसे,—(क) छाते से धूप का प्रतिकार हो जाता है । (ख) आप अपने पाप का कुछ प्रतिकार कीजिए । उ॰—दाँत पीसकर, ओंठ काटकर करता है वह क्रुद्ध प्रहार । पर हँस हँसकर ही प्रभु सबका करते हैं पल में प्रतिकार ।— साकेत, पृ॰ ३९३ ।

२. चिकित्सा । इलाज ।

३. एक प्रकार की संधि जिसमें कृत उपकार के बदले उपकार किया जाय (को॰) ।

४. साहाय्य । सहायता (को॰) ।