प्रतीकवाद

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

प्रतीकवाद संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रतीक + वाद] आधुनिक काव्य का एक आंदोलन या सिद्धांत, जिसमें काव्यरचना का मुख्य आधार प्रतीक अनुध्वनिमूलक स्वर आदि होते हैं । विशेष— प्रतीकवाद का आरंभ सन् १८८६ में फ्रांस में कवि जीन मोरेआस के प्रतीकवाद (सिंबोलिज्म) विषयक घोषणा- पत्र के प्रकाशित होने के साथ होता है । यह उन्नीसवीं शताब्दी के स्थूल काव्यसिद्धांतों के विरोध में उत्पन्न हुआ था । प्रतीकवादियों का सिद्धांत था कि प्रतीकों के माध्यम से वे अधिक संवेद्य काव्य का निर्माण कर सकते हैं । अतः यह काव्य स्थूल घटनाओं को गोपन प्रतीतियों के रूप में व्यक्त करता है । प्रतीकवाद आधुनिक युग का प्रमुख साहित्यिक आंदोलन है ।