प्रत्यवाय

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

प्रत्यवाय संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वह पाप या दोष जो शास्त्रों में बत- लाए हुए नित्य कर्म के न करने से होता है ।

२. उलटफेर । भारी परिवर्तन ।

३. जो नहीं है उसका न उत्पन्न होना या जो है उसका न रह जाना ।

४. विघ्न । बाधा (को॰) ।

५. पाप (को॰) ।

६. दुरदृष्ट । दुर्भाग्य (को॰) ।

७. निर्दिष्ट कर्म के विरुद्ध आचरण (को॰) ।