प्रदक्षिण

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

प्रदक्षिण ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] देवपूजन आदि के समय देवमूर्ति आदि को दाहिनी और कर, भक्तिपूर्वक उसके चारों ओर घूमना । परिक्रमा । उ॰— उभय धरी मँह दीन्ह मैं सात प्रदक्षिण धाय ।— तुलसी (शब्द॰) । विशेष— साधारण बोलचाल में इस शब्द के साथ केवल 'करना' क्रिया का ही प्रयोग होता है । पर कहीं कहीं, और विशेषतः कविता में इसके साथ 'लगना', 'देना' आदि क्रियाओं का भी व्यवहार होता है जैसा ऊपर के उदारहण से प्रकट है । यौ॰— प्रदक्षिणाक्रिया = परिक्रमा । प्रदक्षिणा । प्रदक्षिणपट्टिका = आँगद । अँगना ।

प्रदक्षिण ^२ वि॰

१. समर्थ । योग्य ।

२. दाहिनी ओर स्थित (को॰) ।

३. अनुकूल । विनम्र (को॰) ।

४. शुभ । मंगल । सुलक्षण (को॰) ।