प्रपंच

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

प्रपंच संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रपञ्च]

१. पाँच तत्वों का उत्तरोत्तर अनेक भेदों में विस्तार । संसार । सृष्टि । भवजाल । उ॰—विधि प्रपँच गुन अवगुन साना ।—तुलसी (शब्द॰) ।

२. एक से उत्तरोत्तर अनेक होने का क्रम । विस्तार । फैलाव ।

३. सांसरिक व्यवहारों का विस्तार । दुनिया का जंजाल । उ॰—(क) परमारथी प्रपंच वियोगी ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) सपने होइ भिखारि नृप रंक नाकपति होय ।—जागे लाभ न हानि कछु तिमि प्रपंच जिय जोय ।।—तुलसी (शब्द॰) ।

४. बखेड़ा । झंझट । झगड़ा । झमेला । उ॰—-देहु, कि लेहु अजस करि नाहिं । मोहिं न बहुत प्रपंच सुहाहीं ।।—तुलसी (शब्द॰) ।

५. आडंबर । ढोंग । छल । धोखा । उ॰—- रचि प्रपंच भूपहि अपनाई । रामतिलक हित लगन धराई ।।-- तुलसी (शब्द॰) ।

६. विपर्यास । प्रतिकूलता । वैपरीत्य (को॰) ।

७. राशि । संचय । पुंज (को॰) ।

८. व्याख्या । विस्तार । विश्लेषण (को॰) ।

९. नाटक में परिहासजनक कथन । असंगत या भोंडा कथन (को॰) ।