प्रबीन पु वि॰ [सं॰ प्रवीण] दे॰ 'प्रवीण' । उ॰—सोच करो जिन होहु सुखी मतिराम प्रबीन सबै नर नारी । मंजुल बंजुल कुंजन में घन, पुंज सखी ! ससुरारि तिहारी ।—मति॰ ग्रं॰, पृ॰ २९० ।