प्रवर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]प्रवर ^१ वि॰ [सं॰]
१. श्रेष्ठ । बडा । मुख्य । प्रधान । जैसे, वीर- प्रवर । उ॰—देखें वे हँसते हुए प्रवर, जो रहे देखते सदा समर ।—अनामिका, पृ॰ ११९ ।
२. सर्वप्रधान । सबसे ज्येष्ठ (को॰) । यौ॰—प्रवर समिति ।
प्रवर ^२ संज्ञा पुं॰
१. किसी गोत्र के अंतर्गत विशेष प्रवर्तक मुनि । जैसे, जमदग्नि गोत्र के प्रवर्तक ऋषि जमदग्नि, और्व और वशिष्ठ; गर्ग गोत्र के गार्ग्य, कौस्तुभ और मांडव्य इत्यादि ।
२. संतति ।
३. अगर की लकडी ।
४. आवरण । आच्छादन (को॰) ।
५. शऱीर का ऊपरी वस्त्र । उपरना । दुपट्टा (को॰) ।
६. आवाहन । पुकार (को॰) ।
७. यज्ञ के समय अग्नि का आवाहन (को॰) ।