प्रशस्त

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

प्रशस्त ^१ वि॰ [सं॰]

१. प्रशंसनीय । सुंदर ।

२. जिसकी प्रशंस ा की गई हो (को॰) ।

३. श्रेष्ठ । उत्तम । भव्य ।

४. विस्तृत । व्यापक । उ॰—अकबर कालीन कवियों के लिये काव्य का मार्ग प्रशस्त कर दिया था ।—अकबरी॰, पृ॰ ७ ।

५. स्वच्छ साफ । चौडा़ । जैसे, प्रशस्त ललाट (को॰) ।

प्रशस्त ^२ संज्ञा पुं॰ संज्ञा स्त्री॰ करजोडी़ नाम की जडी़ । हत्थाजोडी़ ।