प्रशस्ति

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

प्रशस्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. प्रशंसा । स्तुति ।

२. वह प्रशंसा- सूचक वाक्य जो किसी को पत्र लिखते समय पत्र के आदि में लिखा जाता है । सरनामा ।

३. किसी की प्रशंसा में लिखी गई कविता (को॰) ।

४. राजा की ओर से एक प्रकार के आज्ञापत्र जो पत्थरों की चट्टानों या ताम्रपत्रादि पर खोदे जाते थे और जिनमें राजवंश और कीर्ति आदि का वर्णन होता था ।

५. वर्णन । विवरण (को॰) ।

६. प्राचीन पुस्तकों के आदि और अंत की कुछ पंक्तियाँ जिनसे पुस्तक के कर्ता, विषय, कालादि का परिचय मिलता हो ।