प्रस्तावना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

प्रस्तावना संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. आरंभ ।

२. किसी विषय या कथा को आरंभ करने के पूर्व का वक्तव्य । प्राक्कथन । भूमिका । उपोदघात । जैसे, पुस्तक की प्रस्तावना ।

३. नाटक में आख्यान या वस्तु के अभिनय के पूर्व विषय का परिचय देने, इतिवृत्त सूचित करने आदि के लिये उठाया हुआ प्रसंग । विशेष—सूत्रधार, नट, नटी, विदूषक, परिपार्श्विक के परस्पर कथोपकथन के रूप में प्रस्तावना होती है, जिसमें कभी कभी कवि का परिचय, सभा की प्रशंसा आदि भी रहती है । भरत मुनि के अनुसार प्रस्तावना पाँच प्रकार की कही गई है—उदघातक, कथोदघात, प्रयोगातिशय, प्रवर्तक और अवगलित ।