प्रहर्षण
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
प्रहर्षण ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. आनंद ।
२. एक अलंकार जिसमें कवि बिना उद्योग के अनायास किसी के वांछित पदार्थ की प्राप्ति का वर्णन करता है । जैसे,—प्राण पियारो मिल्यो सपने में भई तब नेसुक नींद निहोरे । कंत को आयबों त्योंहीं जगाय सखी कह्यो बोलि पियूष निचोरे । यों मतिराम बढ़यो उर में सुख बाल के बालम सों द्दग जोरे । ज्यों पट में अति ही चट- कीलो चढ़ै रँग तीसरी बार के बोरे ।—मतिराम (शब्द॰) ।
३. बुध नामक ग्रह ।
४. मनोवांछित वस्तु की प्राप्ति (को॰) ।
प्रहर्षण ^२ वि॰ आनंदित करनेवाला । हर्षप्रद [को॰] ।