प्राणनाथ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

प्राणनाथ संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ प्राणनाथा]

१. प्रिय व्यक्ति । प्यारा । प्रियतम ।

२. पति । स्वामी ।

३. यमराज । यम (को॰) ।

४. एक सप्रदाय के प्रवर्तक आचार्य का नाम । विशेष—ये जाति के क्षत्रिय थे और औरंगजेब के समय में हुए थे । हिंदुओं और मुसलमानों के धर्म की एकता पर इनके ग्रंथ मिलते हैं । कहते हैं कि पन्ना के राजा छत्रसाल इनके शिष्य थे । कबीर, नानक आदि के समान ये भी आजन्म साधु होकर हिंदू और मुसलमान धर्म की एकता के संबंध में उपदेश देते रहे । इनके संप्रदाय के लोग बुंदेलखंड में बहुत हैं । ये लोग मूर्तिपूजा नहीं करते और प्राणनाथ के ग्रंथों की बडी़ प्रतिष्ठा करते हैं । इस संप्रदाय में प्रवेश करते समय इस संप्रदायवालों के साथ चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान एक साथ बैठकर खाना पड़ता है और सब बातों में हिंदू और मुसलमान अपने अपने पूर्वजों के आचार व्यवहार मानते हैं । हिंदू मुसलमान दोनों मत के लोग इस संप्रदाय में दीक्षा ग्रहण करते हैं ।