प्रात
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]प्रात ^१ अव्य॰ [सं॰ प्रातः] सबेरे । तड़के । प्रभात के समय । उ॰— (क) एक देखि बट छाँह भलि, डासि मृदुल तृण पात । कहहिं गँवाइय छिनकु श्रम, गवनब अबहिं कि प्रात ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) बनमाली दिसि सैन कै ग्वाली चाली बात । आली जमुना जाउँगी काली पूजन प्रात ।—श्रृं॰ स॰ (शब्द॰) ।
प्रात ^२ संज्ञा पुं॰ सबेरा । प्रातःकाल । सूर्योदय के पूर्व का काल । उ॰—(क) प्रात भए सब भूप, बनि बनि मंडप में गए । जहाँ रूप अनुरूप, ठौर ठौर सब शौभिजै ।—केशव (शब्द॰) । (ख) साँस भए जाय शयन ठौरहि तहँ सोवति । करत दुःख की हानि प्रात लौं रोवति रोवति ।—श्रीधर (शब्द॰) ।