प्रास

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

प्रास संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. प्राचीन काल का एक प्रकार का भाला । बरछी । भाला । वर्षास्त्र । विशेष— इसमें सात हाथ लंबी बाँस की छड़ लगती है और दूसरी नोक पर लोहे का नुकीला फल रहता है । इसका फल बहुत तेज होता है जिसपर स्तवक चढ़ा रहता है । इसे वर्षास्त्र भी कहते हैं ।

२. फेंकना । प्रक्षेपण (को॰) ।

३. अनुप्रास (को॰) ।