फँसाना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

फँसाना क्रि॰ स॰ [हिं॰ फँसना]

१. फंदे में लाना या अट- काना । बझाना । उ॰—और जो कदाचि काहू देवता को होय छल तौ तो ताहि नीके ब्रह्म फाँस सों फँसाइयो ।— हनुमान (शब्द॰) ।

२. वशीभूत करना । अपने जाल या वश में लाना । जैसे,— इन्होंने एक मालदार असामी को फँसाया है ।

३. अटकना । बझाना । उ॰— गायगो री मोहनी सुराग बाँसुर के बीच कानन सुहाय मार मंत्र को सुनायगो । नायगो री नेड़ ड़ोरी मेरे गर में फँसाय हदय थली बीच चाय बोलि को बँधायगो ।— दीनदयाल गिरि (शब्द॰) ।