फँसिहारा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

फँसिहारा पु वि॰ [हि॰ फाँस + हारा (प्रत्य॰)] [स्त्री॰ फँसि हारिन] फँसानेवाला । उ॰—ठगति फिरति ठगिनी तुम नारी । जोइ आवति सोइ सोइ कहि डारति जाति जनावति दै दै गारी । फँसिहारिन् बटपारिनि हम भई आपुन भए सुधर्मा भारी । फंदा फँसि कमान बान सों काहू देख्यो डारत मारी । जाके मन जैसोई बरतै मुखबानी कहि देत उधारी । सुनहु सूर प्रभु नीके जान्यों ब्रज युवती तुम सब बटपारी ।—सूर (शब्द॰) ।