फकर ^१ संज्ञा पुं॰ [अ॰ फकीर] दे॰ 'फकीर' । उ॰— दुइ पासाही फकर की इक दुनियाँ इक दीन ।—पलटू, भा॰, १, पृ॰ ६३ ।
फकर ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰ फ़क्र] निर्धनता । गरीबी । दरिद्रता । उ॰— कबही फाका फकर है कबही लाख करोर ।—पलटू॰, भा॰ १, पृ॰ १४ ।