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फटक

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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फटक † ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्फटिक, पा॰ फटिक] बिल्लौर पत्थर । स्फटिक । उ॰—(क) सेत फटक जस लागै गढ़ा । बाँध उठाय चहूँ गढ़ मढ़ा ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) सेत फटक मनि हीरै बीधा । इहि परमारथ श्री गोरष सीधा ।— गोरख॰, पृ॰ १७० ।

फटक ^२ क्रि॰ वि॰ तत्क्षण । झट । उ॰—कह गिरिधर कविराय सुनो हो मेरे नोखे । गयो फटक ही टूटि चोंच दाड़िम के धोखे ।—गिरिधर राय (शब्द॰) ।

फटक † ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ फटकना] लटकने या पछोरने की वस्तु । सुप । छाज । उ॰—मूँग मसूर उरद चनदारी । कनक फटक धरि फटकि पठारी ।—सूर॰, १० । ३६९ ।