फटकारना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

फटकारना क्रि॰ स॰ [अनु॰]

१. (शस्त्र आदि) मारना । चलाना । उ॰—(क) खटपट चोट गदा फटकारी । लागत शब्द कुलाहल भारी ।—लल्लू (शब्द॰) । (ख) अर्जुन अग्नि बान फटकारा । सब शर करे निमिष महँ छारा ।—सबल॰ (शब्द॰) ।

२. एक में मिली हुई बहुत सी चीजों को एक साथ हिलाना या झटका मारना जिसमें वे छितरा जायँ । जैसे, दाढ़ी फटकारना, टुटिया फटकारना । उ॰—घायन के घमके उठे दियरे डमरु हरि डार । नचे जटा फटकारि के भुज पसारि तत्कार ।—लाल (शब्द॰) ।

३. प्राप्ति करना । लेना । लाभ उठाना । जैसे,—आज कल तो वे रोज कचहरी से पाँच सात रुपए फटकार लाते हैं ।

४. कपड़े को पत्थर आदि पर पटककर साफ करना । अच्छी तरह पटक पटककर धोना ।

५. झटका देकर दूर फेंकना । उ॰—(क) नीकैं देहु न मेरी गिंडुरी ।....काहूँ नहीं डरात कन्हाई बाट घाट तुम करत अचगरी । जमुना दह गिंडुरी फटकारी फोरी सब मटकी अरु गगरी ।—सूर॰, १० । १४१६ । (ख) ब्रज गौंडे कोउ चलत न पावत ।...काहू की इँडुरी फटकारत काहू की गगरी ढरकावत ।—सूर॰, १० । १४३४ ।

६. दूर करना । अलग करना । हटाना ।

७. क्रुद्ध होकर किसी से ऐसी कड़ी बातें कहना । जिससे वह चुप या लज्जित हो जाय । खरी और कड़ी बात कहकर चुप करना । जैसे,—आप उन्हें जब तक फटकारेंगे नहीं तब तक वे नहीं मानेंगें । संयो॰ क्रि॰—देना ।