फंध पु † संज्ञा पुं॰ [हि॰ फंद या फंदा] दे॰ 'फंद' । उ॰— कबीर माया पापणी फंध ले बैठी हाटि । सब जग चौ फंधै पड़्या गया कबीरा काटि ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ ३२ ।