फंधा † संज्ञा पुं॰ [हि॰ फंदा] दे॰ 'फंदा' । उ॰—(क) पुनि ओर अनेक सुगंधा । ये सकल जीव को फंधा ।— सुंदर ग्रं॰, भाग॰ १, पृ॰ १२८ । (ख) सब जग परयो काल के फंधा । बहु विधि तिनको बाँधे बंधा ।—कबीर सा॰, पृ॰ ४५६ ।