फंध्या † संज्ञा पुं॰ [हि॰ फंदा] दे॰ 'फंदा' । उ॰— यही बचन में सब जग बंध्या । नाम विना नहिं छूटत फंध्या ।—कबीर सा॰, पृ॰ १०१३ ।