फबना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]फबना क्रि॰ अ॰ [सं॰ प्रभवन, प्रा॰ पभवन] शोभा देना । सुंदर या भला जान पड़ना । खिलना । सोहना । उ॰—(क) मान राखिबो माँगिबो पिय सो नित नव नेह । तुलसी तीनिउ तब फबै ज्यों चातक मति लेहु ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) फबि रही मोर चंद्रिका माथे छबि की उठत तरंग । मनहु अमर पति धनुष बिराजत नव जलधर के संग ।—सूर (शब्द॰) ।