फरकौहाँ पु † वि॰ [हिं॰ फरक+ औहाँ (प्रत्य॰)] फड़कनेवाला । स्पंदनशील । उ॰—मदनातुर चातुर पियै पेखि भयौ चित लोल । पुनि पट सरकौहैं भए फरकौंहें सुकपोल ।—स॰ सप्तक, पृ॰ २३९ ।