फरगट † वि॰ [सं॰ प्रकट, हिं॰ प्रगट, परगट] दे॰ 'प्रकट' । उ॰—फरगट मारे फूटरा, कर सूँ सरगट काढ़ । सठ दाखै भालौ सरस, गिनकावालो गाढ़ ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ २ ।