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फरद

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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फरद ^१ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ फर्द]

१. लेखा वा वस्तुओं की सूची आदि जो स्मरणार्थ किसी कागज पर अलग लिखा गई हो । जैसे,— घर के सब समान की एक फरद तैयार कर लो । दे॰ 'फर्द' । उ॰—फारि डारु फरद न राखु रोजनामा कहूँ खाता खत जान दे बही को बहि जान दे ।—पद्माकर (शब्द॰) ।

२. एक ही तरह के, एक साथ बननेवाले अथवा एक साथ काम में आनेवाले कपड़ों के जोड़ में से एक कपड़ा । पल्ला । जैसे, एक फरद धोती, एक फरद चादर, एक फरद शाल ।

३. रजाई या दुलाई का ऊपरी पल्ला । उ॰—कहै पद्माकर ज ु कैघौं काम कारीगर नुकता दियो है हेम फरद सोहाई में ।— पद्माकर (शब्द॰) ।

४. एक पक्षी का नाम जो बरफीले पहाड़ों पर होता है और जिसके विषय में वैसी ही बातें प्रसिद्ध हैं जैसी चकवा और चकई के विषय में ।

५. एक प्रकार का लक्का कबूतर जिसके सरि पर टीका होता है ।

६. दो पदों की कविता ।

फरद ^२ वि॰ जिसकी बराबरी करनेवाला कोई न हो । अनुपम । बेजोड़ । जैसे,—आप भी बातें बनाने में फरद हैं । (बोल- चाल) । उ॰—चल्यो दरद जेहि रच्यो फरद विधि मित्र दरद हर ।—गोपाल (शब्द॰) ।