फरफंद
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]फरफंद संज्ञा पुं॰ [हिं॰ फर अनु॰, फंद (=फंदा, जाल)]
१. दाँव पेंच । छल कपट । माया । उ॰—(क) उनको नहिं दोस परोस तज्यो कहि को फरफंद परायौ परै ।—बेनी (शब्द॰) । (ख) चल दूर हो, दुष्ट कहीं का, मै तुझे और तेरे फरफंदों को भली भाँति जानता हूँ ।—अयोध्यासिंह (शब्द॰) । (ग) छाँड सब दीन फरफंदा, भए अव साध के बंदा ।—तुरसी॰ श॰, पृ॰ ५९ । क्रि॰ प्र॰—करना ।—रचना ।
२. नखरा । चोचला । क्रि॰ प्र॰—करना ।—खेलना ।—दिखाना ।