फरराना † ^१ क्रि॰ अ॰ [हि॰ फहराना] दे॰ 'फहराना' । उ॰—है गै गैंवर सघन घन, छत्र धजा धजा फरराइ । ता सुख सुख पैं भिष्या भली, हरि सुमिरत दिन जाइ ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ ५३ ।
फरराना ^२ क्रि॰ स॰ दे॰ 'फहराना' ।