फलक
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]फलक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. पटल । तखता । पट्टी ।
२. चादर ।
३. वरक । तबक ।
४. पत्र । वरक । पृष्ठ ।
५. हथेली ।
६. फल । परिणाम ।
७. मेज । चौकी ।
८. खाट की बुनन जिसपर लोग लेटते हैं ।
९. नितंब (को॰) ।
१०. लाभ (को॰) ।
११. आर्तव (को॰) ।
१२. कमल का बीजकोश (को॰) ।
१३. मस्तक की अस्थि (को॰) ।
१४. ढाल (को॰) ।
१५. धोबी का पाटा या पाट (को॰) ।
१६. बाण की गाँसी (को॰) ।
१७. बृहत्संहिता के अनुसार पाँच लड़ी के हार का नाम ।
फलक ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰ फलक]
१. आकाश । जैसे,— आजकल उनका दिमाग फलक पर है ।
२. स्वर्ग । उ॰— बहुदिन सुफल कियो महि कारज । फलक जाहु तुम यदुकुल आरज ।—गिरधरदास (शब्द॰) । यो॰— फलकजदा = अत्यंत पीड़ित । फेटहाल । निर्धन । फलक- परवाज = आकाश तक पहुँचनेवाला । फलकमर्तबा, फलक- रुतबा = उच्चपद्स्थ । फलकसैर = (१)वायु जैसे वेगवाला (घोड़ा) । (२) भंग । भाँग । फलके पीर = बूढ़ा । मुहा॰— फलक टूटना = आसमान टूटना । फलक पर चढ़ना = आसमान पर चढ़ना । फलक पर चढ़ाना = आसमान पर या बहुत ऊँचे चढ़ाना । फलक याद आना = फालचक्र याद आना । उलटफेर याद आना ।