फलि पु ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'फंली' । उ॰—फैलि परी हित की फलि, अंतरसूल गई । भागनि बल यह सुभ घरी बिधि बनाय दई । —घनानंद, पृ॰ ५५६ ।