फिस

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

फिस वि॰ [अनु॰] कुछ नहीं । विशेष—जब कोई आदमी बड़ी तैयारी या मुस्तैदी से कोई काम करने चलता है और उससे नहीं हो सकता तब तिरस्कार रूप में यह शब्द कहा जाता है । जैसे,—बहुत कहते थे कि यह करेंगे पर सब फिस । मुहा॰—टाँय टाँय फिस = थी तो बड़ी धूम पर हुआ कुछ नहीं । फिस हो जाना = हवा हो जाना । न रह जाना । जैसे, इरादा फिस होना, मामला फिस होना ।