फुर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

फुर † ^१ वि॰ [हिं॰ फुरना] सत्य । सच्वा । उ॰—(क) वह सँदेस फुर मानि कै लीन्हो शीश चढ़ाय । संतो है संतोष सुख रहह तो ह्वदय जुड़ाय ।—कबीर (शब्द॰) । (ख) सुदिन सुमगल दायकु सोई । तोर कहा फुर जेहि दिन होई ।— तुलसी (शब्द॰) ।

फुर ^२ संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰] उड़ने मे परों का शब्द । पंख फड़फड़ाने की आवाज । जैसे,—चिड़िया फुर से उड़ गई । विशेष—चट' 'पट' आदि अनु॰ शब्दों के समान यह भी से विभक्ति के साथ ही आता है ।