फुलझड़ी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

फुलझड़ी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ फूल + झड़ना]

१. एक प्रकार की आतशबाजी जिससे फूल की सी चिनगारियाँ निकलती हैं । उ॰—हँसी तेरी पियारे फुलझड़ी है । यहीं गुंचा के दिल में गुलझड़ी है ।—कविता कौ॰, भा॰ ४, पृ॰ २० । क्रि॰ प्र॰—छोड़ना ।

२. कही हुई ऐसी बात जिसमें कुछ आदमियों में झगड़ा, विवाद या और कोई उपद्रव हो जाय । आग लगानेवाली बात । क्रि॰ प्र॰—छूटना ।—छोड़ना ।