फेँकना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

फेँकना क्रि॰ सं॰ [सं॰ प्रेषण, प्रा॰ पेखण अथवा सं॰ क्षेपण, (खेपन, फेंकना)]

१. झोंके के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर ड़ालना । इस प्रकार गति देना कि दूर जा गिरे । अपने से दूर गिराना । जैसे, तीर फेँकना, ढ़ेला फेंकना, पत्थर फेंकना । उ॰— बलराम जो ने उसकी दोनों पिछली टाँगें पकड़ फिरायकर ऊँचे पेड़ पर फेँका । —लल्लू (शब्द॰) । मुहा॰— घोड़ा फेँकना = घोड़ा दोड़ाना ।

२. कुश्ती आदि में पटकना । दूर चित गिराना ।

३. एक स्थान से ले जाकर और स्थान पर ड़ालना । जैसे ,—(क) यहाँ बहुत सा कूड़ा पड़ा है, फेंक दो । (ख) जो सड़े आम हों उन्हें फेंक दो । संयो॰ क्रि॰—देना ।

४. असावधानी से इधर उधर छोड़ना या रखना । बेपरवाही से डाल देना । जैसे,— (क) किताबें इधर उधर फेंकी हुई हैं सजाकर रख दो । (ख) कपड़े यों ही फेंककर चले जाते हो, कोई उठा ले जायगा ।

५. बेपरवाही से कोई काम दूसरे के ऊपर ड़ालना । खूद कुछ न करके दूसरे के सूपुर्द करना । अपना पीछा छुड़ाकर दूसरे पर भार ड़ाल देना । जैसे,— वह सब काम मेरे ऊपर फेंककर चला जाता है ।

६. भूल से कहीं गिराना या छोड़ना । भूलकर पास से अलग कर देना । गाँवना । खोना । जैसे,— बच्चे के हाथ से अँगुठी ले ली, कहीं फेंक देगा । संयो॰ क्रि॰— ड़ालना ।—देना ।

७. जुए आदि के खेल में कोड़ी, पाँसा गोटी आदि आदि का हाथ में लेकर इंसलिये जमीन पर ड़ालना कि उनकी स्थिति क े अनुसार हार जीत का निर्णय हो । जैसे, पाँसा फेंकना, कोड़ी फेंकना ।

८. तिरस्कार के साथ त्यागना । ग्रहण न करना । छोड़ना । पत्यिग करना । उ॰—कंचन फेकि काँच कर राख्यो । अमरित छाँड़ी मुढ़ विष चाख्यो ।——लल्लू (शब्द॰)

९. अपव्यय करना । फजूल खर्च करना । जैसे— ऐसे काम मे क्यो व्यर्य रूपया फेंकते हो ?१० उछालना । ऊपर नीचे हिलाना ड़ुलाना । झटकना पटकना । जैसे, (क) बच्चे का हाथ पैर फेंकना । (ख) मिरगी में हाथ पैर फेंकना ।

११. (पटा) चलाना । (पटा) लेकर घुमाना या हिलाना । डु़लाना ।