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फोकट

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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फोकट वि॰ [हिं॰ फोक] तुच्छ । जिसका कुछ मुल्य न हो । निःसार । व्यर्थ । उ॰—(क) खल प्रबोध जग सोध मन को निरोध कुल सोध । करहिं ते फोकट पचि मरहिं सपनेह सुख न सुबोध ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) कलि में न विराग न ज्ञात कहुँ सब लागत फोकट झुँठ फीको ।—तुलसी (शब्द॰) । (ग) जोरत ये नाते नेह फोकट फीको । देह के दाहक गाहक जी को ।—तुलसी (शब्द॰) । (घ) करम कलाप परिताप पाप साने सब ज्यों सुफुल फले रुख फोकट फरनि । दभ लोभ लालच उपासना बिनासिनी के सुगति साधन भई उदर भरनि ।—तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰—फोकट का =(१) बिना परिश्रम का । (२) बिना मूल्य का । मुफ्त । जैसे,—क्या यह फोकट का है जौ यो ही दे दें । फोकट में = बिना श्रम और औऱ व्यय के । मुफ्त में । यों ही ।