बँटना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बँटना ^१ क्रि॰ अ॰ [सं॰ बण्टन या वर्तन]
१. विभाग होना । अलग अलग हिस्सा होना ।जैसे,—यह प्रदेश तीन भागों में बँटा है ।
२. कई व्यक्तियों को अलग अलग दिया जाना । कई प्राणियों के बीच सवको प्रदान किया जाना । जैसे,— (क) वहाँ गरीबों को कपड़ो बँटता है । (क) अब तो सब आम बँट गए, तुम्हारे लिये एक भी न बचा । सयो॰ क्रि॰—जाना ।
बँटना ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'बटना' ।