बंकुड़ा वि॰ [सं॰ चक्र॰ प्रा॰ बंकुड़] उ॰—घर में सब कोई बंकु़ड़ा मारहिं गाल अनेक । सुंदर रण मैं ठाहरै सूर बीर को एक ।—सुंदर॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ७३८ ।