बंदुवा संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'बँधुआ' । उ॰—तब बीरा ने विनती करि कै श्री सत्या जी सों कही, जो महाराज ये राजद्वार के बदुवा है ।—दो सौ बावन॰, भा॰१, पृ॰ १२६ ।