बक
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ बक]
१. बगला ।
२. अगस्त नामक पुष्प का वृक्ष ।
३. कुवेर ।
४. बकासुर जिसे श्रीकृष्ण ने मारा था ।
५. एक राक्षस जिसे भीम ने मारा था ।
६. एक ऋषि का नाम ।
७. धोखा । छल । फेरब (को॰) ।
८. दे॰ 'बकयंत्र' ।
बक ^२ वि॰ बगले सा सफेद । उ॰— अहहिं जो केश भँवर जेहि बसा । पुनि बक होंहि जगत सब हँसा ।— जायसी ।(को॰) ।
बक ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ वच, हिं॰ बकना] घबड़ाहट । प्रलाप । बकवाद । क्रि॰ प्र॰—लगना । यौ॰—बकबक वा बकझक = बकवाद । प्रलाप । व्यर्थ बाद । उ॰— ऐसे बकझक खिझलायकर सुरपति ने मेघपति को बुलाय भेजा ।—लल्लू (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—करना ।—मचाना ।