बकध्यान

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बकध्यान संज्ञा पुं॰ [सं॰ बकध्यान] ऐसी चेष्ठा या मुद्रा या ढं ग जो देखने में तो बहुत साधु और उत्तम जान पड़े पर जिसका वास्तविक उद्देश्य बहुत ही दुष्ट और अनुचित हो । उस बगले की सी मुद्रा जो मछली पकड़ने के लिये बहुत ही सीधा सादा बनकर ताल के किनारे खड़ा रहता है । पाखंडपूर्ण मुद्रा । बनावटी साधुभाव । उ॰—रण ते भागि निलज गृह आवा । इहाँ आइ बकध्यान लगाला ।—तुलसी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—लगाना ।—लागाना । विशेष— इस शब्द का प्रयोग ऐसे समय होता है जब कोई व्यक्ति अपना बुरा । उद्देश्य सिद्ध करने के लिये अथवा झूठ मूठ लोगों पर अपनी साधुता प्रकट करने के लिये बहुत सीधा सादा बन जाता है ।