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बकलो

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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बकलो ^१ संज्ञा स्त्री॰ [को॰] एक वृक्ष जो लंबा और देखने में बहुत सुंदर होता है । गुलरा । धबरा । खरधवा । विशेष— इसकी छाल सफेद और चिकनी होती है । इसकी लकड़ी चमकीली और अत्यंत दृढ़ होती है । यह वृक्ष बीजों से उगाता है तथा इसके पेड़ मध्य भारत और हिमालय पर तीन हजार फुठ को ऊँचाई तक होते हैं । इसकी लकड़ी से आरायशी और खेती के सामान बनाए जाते हैं तथा इसके लट्ठे रेल की सड़क पर पठरी के नीचे बिछाए जाते हैं । इसका कोयला भी इच्छा होता है और पत्ते चमड़ा सिझाने के काम आते हैं । इस पेड़ से एक प्रकार का गोंद निकलता है जो कपड़े छापने के काम में आता है । इसे धावा, धव, आदि भी कहते हैं ।

२. फल आदि का पतला छिलका ।

बकलो ^२ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] अधोरी नाम का वृक्ष जिसकी लकड़ी से हल और नावें बनती है । वि॰ दे॰ 'अधोरी' ।