बकसाना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बकसाना पु † क्रि॰ स॰ [हिं॰ बख्शना] 'बकसना' का प्रेरणार्थक' रूप । क्षमा कराना । माफ कराना । उ॰— (क) चूक परी मोतें मैं जानी मिलैं श्याम बकसाऊँ री । हा हा करि दसनन तृण घरि लोचन जलनि ढराऊँ री ।—सूर (शब्द॰) । (ख) पूजि उठे जब ही शिव को तब ही विधि शुक्र बृहस्पति आए । कै बिनती मिस कश्यप के तिन देव अदेव सबै बक- साए ।— केशव (शब्द॰) ।